JNUSU पैनल डिबेट में एबीवीपी के उम्मीदवारोें ने भरी हुंकार

एबीवीपी के उम्मीदवारों के यशस्वी उद्बोधनों से गूंजा जेएनयू

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नई दिल्ली 

जेएनयू में चुनाव नज़दीक आ गया है। ऐसे में जे. एन यू परिसर में चुनावी गतिविधियां भी तेज हो गईं है। मेस कैंपेन, वॉल पेंटिंग, हॉस्टल कैंपेन, मशाल यात्रा आदि के माध्यम से चुनावी उम्मीदवार विश्वविद्यालय के छात्रों से सम्पर्क कर रहे हैं । इस क्रम में बुधवार की दोपहर को जेएनयू के झेलम छात्रावास के सामने सेंट्रल पैनल डिबेट का आयोजन हुआ। इस सेंट्रल पैनल डिबेट में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवारों ने हुंकार भरते हुए जेएनयूएसयू से वामियों के नेतृत्व को बाहर करने के संकल्प को दोहराया।

एबीवीपी की तरफ से उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार दीपिका शर्मा ने अपने भाषण में कहा कि, एबीवीपी जिस दिन छात्र संघ का चुनाव जीत कर आएगी, सबसे पहले बराक हॉस्टल का ताला खोलेगी|एबीवीपी जब जीत कर आएगी तो इस कैंपस में 10 नए स्कूल और 6 नए हॉस्टल जो पहले से स्वीकृत हो चुके हैं उनकी नींव रखने का काम करेगी| एबीवीपी ने लगातार छात्र हितों के लिए काम किया है| हम छात्र हितों के लिए पहले भी खड़े थे और आगे भी खड़े रहेंगे| इस कैंपस में अब बड़ी संख्या में हमारे साथ स्टूडेंट्स है। इस चुनाव में हम सकारात्मक है और जीत की ओर अग्रसर है।

एबीवीपी की तरफ से सचिव पद के उम्मीदवार अर्जुन आनंद ने कहा कि,वाम नीत जेएनयूएसयू ने जेएनयू को दुखों के अलावा और कुछ नहीं दिया है उन्होंने जेएनयू को धोखा दिया है। हमारी लड़ाई देश को विखंडित करने वाले ताकतों के खिलाफ है। इनके पास पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़के हार कर जमानत जब्त करवाने के लिए फुर्सत है लेकिन जेएनयू के अंदर की बात करने की फुर्सत नहीं है छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ने की फुर्सत नहीं है। एबीवीपी का एजेंडा यह है कि जेएनयू में जेएनयू के छात्रहितों की बात हों।जेएनयू में जो गड़बड़ियां हो रही है चाहे वह प्रशासनिक हो या एकेडमिक्स उसका समाधान हो तथा बराक होस्टल जल्द से जल्द खोला जाए। एबीवीपी मांग करती है कि जेएनयूएसयू में पड़े हुए 500 करोड़ के फंड को छात्रों के लिए अकैडमी ब्लॉक 2 को बनाने के लिए तुरंत प्रयोग किया जाए।

एबीवीपी की तरफ से संयुक्त सचिव के प्रत्याशी गोविंद दांगी ने अपने भाषण के दौरान वामियों पर प्रहार करते हुए कहा कि, जेएनयू कैंपस हो या पूरा विश्व इन वामियों के खूनी इतिहास से सना है। इस वामी छात्रसंघ ने जेएनयू के एक्डेमिक्स से लेकर प्रशासन तक सबको भ्रष्ट कर रखा है। यह धरती लेनिन और माओ की धरती नहीं है यह धरती गोलवलकर और सावरकर की धरती है। जिन्होंने अपनी मिट्टी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया।जब वैश्विक महामारी कोविड में छात्रों को जरूरत थी तब जेएनयूएसयू के पदाधिकारी सत्ता मोह में लिप्त होकर बंगाल में चुनाव लड़कर अपनी ज़मानत जब्त करा रहे थे। उस समय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने अपने कैरियर को दांव पर लगाकर जेएनयू परिसर को खुलवाने का काम किया। विद्यार्थी परिषद ने बराक होस्टल के लिए अथक संघर्ष किया था। इस चुनाव में हमारे विजय का शंखनाद हो चुका है और हम चारों सीटों पर विजय हो रहे हैं।

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