यूपी में BJP को लग सकता है बड़ा झटका!लोकसभा चुनाव से पहले 1 लाख से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने किया ऐलान!

समस्याओं से आजिज हो चुके आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने लिया फैसला

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लखनऊ। कोरोना काल में तैनात कर्मियों की सेवा समाप्त करने एवं स्थाई नीति नहीं होने आदि समस्याओं से आजिज हो चुके आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने लोकसभा चुनाव से पहले मांगों को पूरा नहीं कराने पर आन्दोलन की चेतावनी दी है। पिछले कई वर्ष से सरकार की उदासीनता के शिकार हो रहे प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों, अस्पतालों तथा होम्योपैथी और कोविड में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों में आक्रोश है। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ ने कहा है कि मांग पत्र पर कार्यवाही नहीं हुई तो जल्द आंदोलन की नोटिस जारी करके इको गार्डन में धरना-प्रदर्शन की तिथि निर्धारित की जाएगी।
संघ के महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा ने बताया कि कर्मचारी इतनी महंगाई के बाद भी पिछले कई सालों से फिक्स वेतनमान पर कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी कर्मचारियों ने पूरा समर्थन भाजपा को किया था मगर, आउटसोर्सिंग की कोई नियमावली नहीं बनी और नहीं तो एक साल में हजारों की संख्या में कोविड कर्मचारी निकाले गए।
उन्होंने कहा कि लोहिया, पीजीआई, केजीएमयू में अभी तक वेतन नहीं बढ़ा। दिल्ली राज्य सरकार का न्यूनतम वेतन उप्र से दो गुना है। पिछले 8 वर्ष से फिक्स वेतनमान दिया जा रहा है जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है।
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की ओर से लोकसभा चुनाव से पहले सभी समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री को मांग भेजा गया है। इसमें केजीएमयू, लोहिया, पीजीआई तथा कैंसर संस्थान में वेतन बढ़ोत्तरी के लिए कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की मंाग की गई है। चतुर्थ श्रेणी के न्यूनतम वेतन 18 हजार के बराबर प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, चिकित्सालय, होम्योपैथी तथा कोविड कर्मियों के वेतन बढ़ोतरी को कहा गया है। साथ ही अन्य पदों का वेतन इससे अधिक हो। कोविड कर्मियों का समायोजन तथा स्थाई एवं एनएचएम की भर्तियों में छूट एवं अनुभव के अनुसार वेटेज देने एवं सभी स्वास्थ्य कर्मियों को साल में आकस्मिक तथा चिकित्सकीय अवकाश देने की मांग की है।
स्वास्थ्यकर्मियों को आउटसोर्स व्यवस्था से संविदा अथवा स्थाई पदों पर समायोजन हो। सेवा प्रदाता की व्यवस्था बंद हो। केजीएमयू, लोहिया तथा पीजीआई में ईएसआई की क्लिनिक खोली जाय। आउटसोर्स की स्थाई नीति बने जो सभी विभागों में लागू हो। कर्मचारियों की बायोमेट्रिक एवं ऐप पर हाजिरी बंद हो, इससे कर्मचारियों का उत्पीडऩ हो रहा है। कोविड कर्मियों को दिल्ली राज्य सरकार का न्यूनतम वेतन मिले। आउटसोर्सिंग व्यवस्था में जीएसटी की कटौती बंद हो साथ ही कर्मचारियों को पूरा वेतन मिले।
प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने कहा की कई बार इसमें से कई मांगों पर सहमति बनी है मगर इसका कोई आदेश जारी नही हुआ। महंगाई में कर्मचारी और उनका परिवार कुपोषण के शिकार हो रहे है।

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