Lok Shabha Election: दूसरे चरण में भी मतदान कम, लोगों में सत्ता और विपक्ष के प्रति गहरा आक्रोश – अभिषेक जैन

धर्म की राजनीति के चलते दलों ने खोया मतदान का विश्वास

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जयपुर

लोकतांत्रिक देशों में मतदान दिवस को लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व माना गया है, अभी भारत में यह लोकतंत्र का पर्व चल रहा है जिसके तहत शुक्रवार को देश की 88 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ, इससे पूर्व 19 अप्रैल को 102 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ था कुल दो चरणों में अब तक 190 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुके है। शुक्रवार को डाले गए दूसरे चरण के मतदान के पश्चात सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजजीतिक विश्लेषक अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की धर्म की राजनीति ने देश का माहौल खराब करके रख दिया है, जिसके चलते जनता के दिलों में राजनीतिक दलों के प्रति अविश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है, राजनीतिक दल देश के अहम मुद्दों को छोड़कर केवल धर्म की राजनीति को बढ़ावा देकर आरोप – प्रत्यारोप की राजनीति कर जनता के दिलों में से अपने प्रति विश्वास खो रहे है, यही सबसे बड़ा कारण है की दूसरे चरण के मतदान दिवस पर भी पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की संख्या बहुत कम पहुंच रही है, जिसके चलते लगातार मतदान प्रतिशत गिर रहा है जो राजनीतिक दलों के प्रति अविश्वास का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की जनता आज महंगाई, भ्रष्टाचार, अत्याचार, बलात्कार, बेरोजगारी, भुखमरी से त्रस्त हो रही है किंतु हर राजनीतिक दल इन मूल मुद्दो छोड़कर केवल धर्म की राजनीति को बढ़ावा दे जिसके चलते जनता के दिलों में राजनितिक दलों के प्रति आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ इत्यादि राज्यों में 4 महीने पहले ही मतदान हुए है, जिसमें लगभग 75 प्रतिशत मतदान हुआ था, किंतु अभी के दो चरणों के चुनावों में मात्र 57 प्रतिशत मतदान होना इस बात का उदाहरण है की प्रत्येक राजनीतिक दल देश की जनता में लगातार अपना विश्वास खोते नजर आ रहे है।

कम मतदान होने से देश को मिलेंगे चौकाने वाले परिणाम
अभिषेक जैन बिट्टू का कहना है की इस बार के लोकसभा चुनाव में कम मतदान प्रतिशत का परिणाम देश को चोकाएगा, परिणाम ऐसा अद्भुत होगा की सोचने वाले भी सोचकर आश्चर्य चकित रह जायेंगे की यह परिणाम कैसे आया, किंतु अब तक के अनुभव के आधार पर जब कभी भी मतदान प्रतिशत बढ़ा है तो इससे भाजपा और एनडीए को फायदा पहुंचता है किंतु इस बार पूरा विपक्ष कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, आरएलपी, एनसीपी, शिव सेना आदि दल इंडिया गठबंधन का प्रमुख हिस्सा बनकर एक साथ चुनाव लड़ रहे है जिससे चलते इस बार का चुनाव काफी टफ होता नजर आ रहा है, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भले ही हिंदुत्व के मुद्दे को अपनी संजीवनी मानकर चल रही है किंतु इसके अतिरिक्त सरकार के हर फैसले के खिलाफ जनता भले ही चुपचाप खड़ी हो किंतु जनता का आक्रोश मतदान में पड़ता साफ नजर आ रहा है, इस बार के चुनाव में 60/40 का रेसो है, जो रेसो है वह किसी दल का नही बल्कि गठबंधन का रेसो है जिसके परिणाम बेहद चौकाने वाले होगे।

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