Labour Day 2024: श्रम कानूनों के बावजूद श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक नहीं मिलना चिंताजनक- सुनील यादव

सभी श्रमिकों को वार्षिक वृद्धि तथा महंगाई भत्ता आज नहीं मिल पाता है..

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लखनऊ, रिपोर्टर।
वास्तव में श्रमिकों का स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा एक बहुत बड़ा विषय है। आज श्रम कानूनों के बावजूद श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा है। उच्चतम न्यायालय द्वारा समान कार्य समान वेतन के बार- बार निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन सामान्यतया यही देखा जा रहा है कि इसका पालन नहीं हो पा रहा है। उक्त बातें फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कही। वह बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर फार्मासिस्ट फेडरेशन द्वारा आयोजित एक वेब गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
सुनील यादव ने आगे कहा कि सरकारी और गैर सरकारी सभी जगहों पर अलग अलग पारिश्रमिक तय हैं, सभी श्रमिकों को वार्षिक वृद्धि तथा महंगाई भत्ता आज नहीं मिल पाता है जिससे वह अपने दैनिक जीवन का संचालन भी सही से नहीं कर पाते हैं। विभिन्न विभागों में चल रही आउटसोर्सिंग की व्यवस्था में श्रमिक और सरकार के बीच बिचौलिए की भूमिका बन जाने से श्रमिक वर्ग को उनका तय वेतन नहीं मिल पाता है।
असंगठित मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए अभी भी बनानी होगीं नीतियां….
फेडरेशन अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने संगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था की है, स्वास्थ्य के लिए अनेक ईएसआई हॉस्पिटल बने हैं लेकिन असंगठित मजदूरों के स्वास्थ्य की देखभाल पर अभी भी नीतियां बनानी होगी।उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना गरीब श्रमिकों के लिए अत्यंत कल्याणकारी है इसका लाभ सभी मजदूरों को उठाना चाहिए। आयुष्मान के मानक में भी थोड़े बदलाव की आवश्यकता है।
वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य परिवार का संचालन करने के लिए श्रम विभाग द्वारा न्यूनतम मजदूरी का पुनर्निर्धारण किया जाना आवश्यक है। जिससे श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा प्रबल हो सके।
दिवंगत डीपीए के पुरोधाओं के संघर्षों को याद करते हुए उन्हें दी गई श्रद्धांजलि…
इस अवसर पर डीपीए के संस्थापक स्व. राम उजागर पांडेय, स्व. शेषनाथ तिवारी, स्व. राम समुझ त्रिपाठी, कर्मचारी नेता स्व. बाई एन सिंह, रोडवेज के स्व. प्रीतम दास, स्व. चंद्रशेखर पांडेय, स्व. एस एन मिश्रा सहित अनेक दिवंगत पुरोधाओं के संघर्षों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यालयों में काम के घंटे तय करने के पीछे मजदूर आंदोलन ही जिम्मेदार….
फेडरेशन अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि किसान और मजदूर इस देश की जान है। इसलिए इनके लिए स्वास्थ्य और सकारात्मक सुरक्षा सबसे आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। कहा कि आज कार्यालयों में काम के घंटे तय हैं, तो इसके पीछे मजदूर आंदोलन ही जिम्मेदार हैं। इतिहास गवाह है कि 1 मई 1886 के दिन लाखों मजदूरों की हड़ताल के बाद दुनिया भर के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में बदला गया था। दुनिया भर में हुए मजदूर आंदोलनों ने आम नागरिकों को भी बहुत कुछ लाभ दिया है।
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की थीम ‘जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है’ निर्धारित किया गया है।
नारे के साथ गोष्ठी में विभिन्न कर्मचारी मजदूर नेताओं ने रखी अपनी राय….
हर जोर-जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा हैं, हर जालिम से टकरायेंगे, हर जुल्म का बदला मांगेंगे, इस नारे के साथ गोष्ठी में विभिन्न कर्मचारी मजदूर नेताओं ने अपनी राय रखी। फेडरेशन के संरक्षक अमरपाल सिंह, संयोजक के के सचान, महामंत्री अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जेपी नायक, उपाध्यक्ष राजेश सिंह, ओपी सिंह, जीसी दुबे, जय सिंह सचान, आर आर चौधरी, प्रवीण यादव, उपेंद्र कुमार, राजेंद्र पटेल, रमेश कुमार, आदेश, पीएस पाठक, ज्ञान चंद्र, अफज, अंकित के साथ अन्य विभागों के कर्मचारियों ने भी भागीदारी की।

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