लखनऊ के गोसाईगंज में खिलाई जाएगी फाइलेरिया की दवा, यह सभी करेंगे सहयोग, चलेगा IDA अभियान

ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, कोटेदारों, मुख्य सेविकाओं, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को किया संवेदित

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Indinewsline, Lucknow:
लखनऊ के गोसाईगंज ब्लॉक में 10 से 25 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (IDA) अभियान चलेगा। इसके तहत फ़ाइलेरियारोधी दवा एल्बेन्डाजोल, डाईइथाइल कार्बामजीन (DEC) और आइवरमेक्टिन खिलायी जाएगी। राष्ट्रीय फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इसका आयोजन होगा।

सीफॉर, पाथ, PCI के सहयोग से हुआ आयोजित
इसी क्रम में गोसाईंगंज विकासखंड सभागार में ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत सचिव, कोटेदारों, मुख्य सेविकाओं, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को संवेदित किया गया। यह कार्यक्रम संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (PCI) के सहयोग से आयोजित हुआ।

ग्राम प्रधान और कोटेदार अभियान में बढ़ चढ़कर लें हिस्सा
खण्ड विकास अधिकारी आशुतोष कुमार श्रीवास्तव एवं सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) कमल किशोर शुक्ला ने ग्राम प्रधान और कोटेदारों से कहा कि इस अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। अभियान का उद्घाटन स्वयं दवा खाकर करें। अपने- अपने क्षेत्र में लोगों को आईडीए अभियान के बारे में विस्तार से बताएं और लोगों को फ़ाइलेरियारोधी दवा खिलाना सुनिश्चित करें। लोग आपको जानते और मानते हैं। इसलिए वह आपकी बात को जरूर सुनेंगे।

फ़ाइलेरिया लाइलाज बीमारी, दवा से हो सकता है बचाव


कार्यक्रम में अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डॉ. सुरेश पाण्डेय ने कहा कि फ़ाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इससे बचने का उपाय है कि मच्छरों से बचना और आईडीए अभियान के दौरान फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना। आईडीए अभियान के तहत लगातार तीन साल तक, साल में एक बार फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन कर फ़ाइलेरिया से बचा जा सकता है। जनपद में 10 फरवरी से फ़ाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराने के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाएंगी। फ़ाइलेरियारोधी दवा सभी का खाना जरूरी है, क्योंकि यदि कोई फ़ाइलेरियारोधी दवा नहीं खाता है और उसमें फ़ाइलेरिया के परजीवी हैं तो वह अन्य स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है। फ़ाइलेरिया मच्छर के काटने से होता है और फ़ाइलेरिया के लक्षण पांच से 15 साल बाद दिखाई देते हैं।

WHO, पाथ अभियान के प्रशिक्षण और निगरानी में कर रहे सहयोग
सहायक मलेरिया अधिकारी विजय पटेल ने बताया कि इस अभियान में विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, अभियान के प्रशिक्षण और निगरानी में सहयोग कर रहे हैं जबकि सीफॉर और पीसीआई सामुदायिक सहभागिता में सहयोग कर रही है।
सीफ़ॉर ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, ग्राम प्रधानों, फ़ाइलेरिया रोगियों, पंचायत सहायकों, कोटेदारों, स्थानीय प्रभावशाली व्यक्तियों को एक साथ लाकर पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफोर्म बनाया है। इस मंच के माध्यम से यह लोग फ़ाइलेरिया पर चर्चा करते हैं और समुदाय को फ़ाइलेरिया से बचाव, उपचार और कारण की जानकारी देते हुए फ़ाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करने के बारे में जागरूक करते हैं।

दो साल से कम के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोडकर सभी को खानी है दवा
वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ए.के. सिंह ने बताया कि फ़ाइलेरियारोधी दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोडकर सभी को खानी है। फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने के बाद में चक्कर आना, जी मिचलाना जैसी समस्या हो सकती है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं। ऐसा शरीर में फ़ाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद फ़ाइलेरिया के परजीवी मरने के कारण होता है।

खाद्य आपूर्ति निरीक्षक अर्पिता उपाध्याय द्वारा समस्त कोटेदारों को निर्देश दिया गया कि वह अपने- अपने कोटे के नोटिस बोर्ड में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की तिथि दर्शायें एवं लोगों को दवा खाने के लिए प्रेरित करें।

सभी से दवा सेवन की अपील
पीएसपी सदस्य, फ़ाइलेरिया रोगी और पूर्व प्रधान फूलचंद यादव ने अनुभव साझा किया और सभी से दवा सेवन की अपील की।

यह सभी रहे मौजूद
इस मौके पर खंड विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत, एडीओ समाज-कल्याण, बाल विकास परियोजना अधिकारी, गोसाईगंज, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी एवं पाथ, पीसीआई व सीफार आदि स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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