विश्व स्तनपान सप्ताह पर नवजात को मां का पहला दूध देने की सलाह, उसका गुड़, शहद, आदि से स्वागत करना बिल्कुल गलत
स्तनपान सम्बन्धी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए गर्भावस्था से ही महिलाओं को जानकारी देनी बेहद जरूरी-डॉ. मधु गैरोला
लखनऊ, संवाददाता।
मां का पहला दूध जिसे खीस या कोलोस्ट्रम कहते हैं यह अमृत के समान होता है। यह नवजात को जरूर देना चाहिए। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और शिशु की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है जबकि लोगों में भ्रम है कि शिशु इस दुनिया में आया है तो इसका स्वागत गुड़, शहद, आदि से करना चाहिए लेकिन यह बिल्कुल गलत है।
यह जानकारी लखनऊ स्थित रानी अवंतीबाई महिला अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मधु गैरोला ने दी है। वह शनिवार को सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष्य में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल के निर्देशन में यह कार्यशाला आयोजित हुयी थी।
स्तनपान सम्बन्धी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए गर्भावस्था से ही महिलाओं को जानकारी देनी चाहिए
डॉ. मधु गैरोला ने आगे कहा कि स्तनपान सम्बन्धी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए गर्भावस्था से ही महिलाओं को जानकारी देनी चाहिए। विशेषकर ऐसी महिलाओं को जो कि पहली बार गर्भ धारण कर रही हैं। इसके साथ ही सिजेरियन सेक्शन प्रसव, पहली बार मां बनने वाली माओं एवं कम वजन के नवजात की माओं को स्तनपान सम्बन्धी व्यवहार पर सहयोग दिया जाना आवश्यक है।
जन्म के एक घंटे के भीतर ही नवजात को स्तनपान शुरू करना जरूरी
इस अवसर पर वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने बताया कि जन्म के एक घंटे के भीतर ही नवजात को स्तनपान शुरू करा देना चाहिए और छह माह तक उसे केवल मां का दूध ही देना चाहिए। छह माह के बाद दो साल तक स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार देना चाहिए, क्योंकि छह माह के बाद बच्चे के लिए मां का दूध पर्याप्त नही होता है।
एंटीबॉडी बच्चे में किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में मां का दूध मद्दगार
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि मां के दूध में सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो कि उसके शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही यह सुपाच्य होता है जिससे पेट में किसी भी तरह की दिक्कत होने की संभावना न के बराबर होती है। उन्होंने कहा कि मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी बच्चे में किसी भी तरह का संक्रमण को होने से रोकते हैं। उसका डायरिया, निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव तो होता ही साथ में प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
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