यूपी सरकार व अफसरों की कार्यप्रणाली से फार्मासिस्ट संवर्ग में बढ़ा आक्रोश, लंबित मांगों पर नहीं हुई सुनवाई, स्वास्थ्य महानिदेशालय घेरने का ऐलान

यदि मांगे नहीं मानी जाती हैं तो अनिश्चितकाल के लिए आंदोलन की बनेगी रणनीति

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Indinewsline, Lucknow:
पदनाम परिवर्तन समेत 24 सूत्री मांगों पर सुनवाई नहीं होने से फार्मासिस्ट संवर्ग में आक्रोश बढ़ गया है। डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले 31 जनवरी को स्वास्थ्य महानिदेशालय पर धरना- प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान यदि मांगे नहीं मानी जाती हैं तो वहीं अनिश्चितकाल के लिए आंदोलन की रणनीति बनायी जाएगी। यह जानकारी बलरामपुर अस्पताल स्थित कार्यालय में बुधवार को एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप बडोला और महामंत्री राजेंद्र कुमार सिंह पटेल ने प्रेस कांफ्रेंस में दी।

सीएम, स्वास्थ्य मंत्री और महानिदेशालय ने नहीं कराया समस्या का निस्तारण
दोनों पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले लंबे समय से संगठन ने प्रदेश के फार्मासिस्टों की समस्याओं से मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और महानिदेशालय के अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है। वेतन बढ़ाने, पदों के सृजन के मानकों में संशोधन की मांग लंबे समय से की जा रही है। कहा कि एसोसिएशन उत्तर प्रदेश शासन एवं महानिदेशालय के अधिकारियों की उदासीनता के चलते आंदोलन के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर हो गया है।

समाधान होना तो दूर शासन स्तर पर एक भी नहीं हुई द्विपक्षीय वार्ता


उन्होंने कहा की शहरी एवं ग्रामीण चिकित्सालय में कार्यरत फार्मासिस्ट प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ के रूप में कार्य कर रहे हैं लेकिन विगत कई वर्षों से संवर्ग की लंबित समस्याओं को समाधान होना तो दूर शासन स्तर पर एक भी द्विपक्षीय वार्ता तक आयोजित नहीं हुई है। जिस कारण फार्मासिस्ट संवर्ग में समस्याओं का अंबार लग गया है और रोष बढ़ता ही जा रहा है।

पदनाम परिवर्तन जैसी गैर वित्तीय मांग भी लंबे समय से चल रही, नहीं होती सुनवाई
अध्यक्ष संदीप बडोला और महामंत्री राजेंद्र कुमार सिंह पटेल ने बताया कि पदनाम परिवर्तन जैसी गैर वित्तीय मांग भी लंबे समय से चल रही है। मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री के सहमत होने के बाद भी प्रदेश के करीब 250 से 300 सांसदों एवं विधायकों द्वारा सरकार को पत्र लिखे गए। इसके बाद भी फार्मासिस्ट संवर्ग के पदनाम परिवर्तन आज तक नहीं किए गए।

सीएम को लगातार ज्ञापन देने के बावजूद नहीं हुई सुनवाई, नहीं किया प्रयास
उन्होंने कहा कि कि 20 दिसंबर 2024 को प्रदेश के प्रत्येक जनपद मुख्यालय में फार्मेसिस्ट संवर्ग द्वारा धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भिजवाए एवं 22 से 25 दिसंबर तक प्रदेश भर के 250 से लेकर 300 सांसदों एवं विधायकों के माध्यम से ज्ञापन भिजवाया गया। इसी साल 3 जनवरी को प्रदेश के प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर फार्मेसी संवर्ग द्वारा धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया था लेकिन इसके बाद भी शासन एवं महानिदेशालय द्वारा समस्याओं के निराकरण का कोई प्रयास नहीं किया गया।

दो फार्मासिस्ट के भरोसे चल रही सीएचसी, कैसे करते हैं काम?
प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में फार्मासिस्ट के मात्र दो पद हैं। वर्तमान में सीएचसी में 800 से 1000 मरीज रोजाना आते हैं। जहां औषधि भंडारण व वितरण, इंजेक्शन, एआरबी, ड्रेसिंग, प्लास्टर, पोस्टमार्टम, वीआईपी ड्यूटी सहित 24 घंटे इमरजेंसी ड्यूटी मात्र दो फार्मासिस्ट किस प्रकार कर सकते हैं?

20 सालों में नहीं बन पायी फार्मासिस्टों की वरिष्ठता सूची
उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 के बाद से नियुक्त फार्मासिस्टों की वरिष्ठता सूची विभाग पिछले 20 सालों में नहीं बन पाया। उच्च पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया लंबे समय तक नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं समय पर नहीं दी जा रही हैं।

तत्कालीन महानिदेशक ने नियम विरुद्ध तरीके से शासनादेश को ही बदल डाला

फार्मासिस्टों का नियुक्ति जनपदीय अधिकारी सीएमओ एवं सीएमएस करते हैं। शासनादेश अनुसार फार्मासिस्टों को मिलने वाली एसीपी जनपदीय अधिकारियों द्वारा प्रदान की जाती रही है। लेकिन 4 दिसंबर 2023 को तत्कालीन महानिदेशक द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से शासनादेश को ही बदल दिया गया। फार्मेसी संवर्ग की एसीपी अनुमोदन हेतु महानिदेशालय भेजने का आदेश जारी कर दिया। जिस कारण फार्मासिस्टों के एसीपी के प्रकरण पिछले एक-एक वर्ष से लंबित पड़े हैं। संवर्ग का आर्थिक नुकसान हो रहा है और सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

धरना-प्रदर्शन के बावजूद नहीं हुई सुनवाई तो करेंगे आंदोलन का ऐलान


एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष अजय कुमार पाण्डेय अज्जू ने बताया कि पदनाम परिवर्तन जैसी गैर वित्तीय मांग भी लंबे समय से लंबित चल रही है। वेतन उच्ची करण, पदों के सृजन के मानकों में संशोधन की मांग लंबे समय से लंबित है। 31 जनवरी को प्रदर्शन के दौरान यदि मांगे नहीं मानी जाती हैं तो वहीं अनिश्चितकाल के लिए आंदोलन की रणनीति बनायी जाएगी।

वार्ता में ये पदाधिकारी भी हुए थे शामिल
वार्ता में प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष उमेश मिश्रा, प्रदेश उपाध्यक्ष सालिगराम त्रिपाठी, संरक्षक आर एन डी द्विवेदी, प्रवक्ता एस एम त्रिपाठी, कार्यालय सचिव शंकर पटेल, लखनऊ मंडल के अध्यक्ष सुशील त्रिपाठी, मनमोहन मिश्रा एवं विवेक श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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