PM ने कहा करें विदेशी सामानों के उपयोग से परहेज, व्यापारियों ने किया स्वागत

स्वदेशी उत्पादों के निर्माण एवं बिक्री को ज़्यादा सुविधा देने से अपील का होगा व्यापक असर

139

नई दिल्ली
भाजपा सांसद और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशी उत्पादों से परहेज करने की अपील का समर्थन करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री की यह अपील केवल अर्थव्यवस्था से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह आत्म-सम्मान, आर्थिक स्वतंत्रता और हमारे देश के स्थानीय उत्पादकों व व्यापारियों के सशक्तिकरण का आह्वान है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति उनके अटूट संकल्प को दर्शाती है—एक ऐसा भारत, जहां देशवासी स्वयं के बनाए उत्पादों का निर्माण, उपभोग और निर्यात करें।”
खंडेलवाल ने कहा की प्रधानमंत्री की अपील को कारगर बनाने के लिए जरूरी है कि व्यापारियों एवं निर्माताओं को ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस विज़न के अंतर्गत सिंगल विंडो व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए जिससे उनकी विभिन्न विभागों से संबंधित विषयों का एक ही स्थान पर हल हो वहीं कर एवं अन्य कानूनों एवं नियमों की पालना का बोझ भी कम से कम हो तथा इसके साथ ही आम उपयोग में आने वाली वस्तुएं जो विदेश से आती हैं उन पर ड्यूटी का अधिभार ज़्यादा हो जिससे उनका आयात कम हो और भारतीय सामान का निर्माण एवं उपयोग अधिक हो।
प्रधानमंत्री की अपील का मूल भाव यह है कि भारतीय उत्पादों के ही उपयोग की श्रृंखला को शुरू करने हेतु हम कम से कम रोजमर्रा की जरूरतों के लिए स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करें जिससे इस दिशा में एक सशक्त कदम तो बढ़े। अभी कुछ वस्तुओं के निर्माण हेतु हमें विदेशी निर्यात पर निर्भर रहना पड़ता है, ऐसी वस्तुओं के स्वदेशी निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएँ। उन्होंने यह भी कहा की ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा विदेशी सामान बेचा जा रहा है, उन पर भी कढ़ाई से लगाम कसी जाये।
खंडेलवाल ने कहा कि यह अपील छोटे व्यापारियों, लघु उद्योग और विनिर्माताओं की भावना से पूरी तरह मेल खाती है, जो वास्तव में भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा, “हर विदेशी उत्पाद जिसे हम देशी विकल्प से बदलते हैं, वह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, रोजगार पैदा करता है और आयात पर हमारी निर्भरता को कम करता है।”
उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, जब आपूर्ति श्रृंखलाएं बदल रही हैं और देश विश्वसनीय साझेदारों की तलाश में हैं, भारत को इस अवसर का लाभ उठाते हुए वैश्विक विनिर्माण और सेवा केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए—और यह कार्य हमारे उद्यमियों के नेतृत्व में होना चाहिए। “हमें अब ‘स्वदेशी’ को केवल भावना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति बनाना होगा।

Comments are closed.