लखनऊ: महापौर कार्यालय से संपत्ति विभाग को भेजे कई पत्र गायब, लेखपालों तक भी नहीं पहुंचे!

जो पत्र उनके कार्यालय से भेजे गए हैं, उन पर विभाग को समय-सीमा के भीतर लिखित उत्तर देना अनिवार्य है: महापौर

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इंडिन्यूज लाइन, लखनऊ:
लखनऊ स्थित महापौर के कार्यालय से संपत्ति विभाग को भेजे गए कई पत्र गायब हो गए और संबंधित लेखपालों तक पहुंचे ही नहीं। महापौर ने यह गंभीर आरोप लगाते हुए अधिकारियों से इन पत्रों को खोजने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही महापौर ने यह भी कहा कि भविष्य में कोई भी पत्र लापता न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो पत्र उनके कार्यालय से भेजे गए हैं, उन पर विभाग को समय-सीमा के भीतर लिखित उत्तर देना अनिवार्य है।

महापौर ने नगर निगम मुख्यालय में संपत्ति विभाग के साथ कि महत्वपूर्ण बैठक
महापौर सुषमा खर्कवाल सोमवार को नगर निगम मुख्यालय में संपत्ति विभाग की महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित कर रही थी। बैठक में नगर आयुक्त गौरव कुमार, अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह, संपत्ति प्रभारी संजय यादव समेत विभाग के सभी लेखपाल, नायब तहसीलदार एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यों की विस्तार से समीक्षा और कई अहम बिंदुओं पर अधिकारियों को सख्त निर्देश
महापौर ने संपत्ति विभाग के कार्यों की विस्तार से समीक्षा की और कई अहम बिंदुओं पर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संपत्ति विभाग की लापरवाही से कई मामलों में नगर निगम को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

न्यायालयों में लंबित मुकदमों की अद्यतन सूची तत्काल प्रस्तुत की जाए: महापौर

उन्होंने सभी लेखपालों से यह स्पष्ट रूप से कहा कि जितने भी न्यायालयों में मुकदमे लंबित हैं, उनकी अद्यतन सूची तत्काल प्रस्तुत की जाए। विशेष रूप से पीपीई एक्ट के अंतर्गत चल रहे मामलों की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके अलावा पीपीई एक्ट से संबंधित सभी केसों की तिथिवार सूची भी मांगी गई है।

महापौर ने दो वर्षों में सांसद, एमएलसी, विधायक, पार्षद के शिकायती पत्रों की स्थिति की मांगी पूरी रिपोर्ट
बैठक के महापौर ने निर्देश दिए कि पिछले दो वर्षों में सांसद, एमएलसी, विधायक, पार्षद के माध्यम से जो भी शिकायती पत्र नगर निगम या संपत्ति विभाग को भेजे गए हैं, उनकी स्थिति की पूरी रिपोर्ट उन्हें सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।

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