KGMU: फैटी लिवर एक मूक महामारी, जागरूकता ही बचाव- प्रो. सुमित रूंगटा

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के हेपेटोलॉजी क्लिनिक में मना वैश्विक फैटी लिवर दिवस

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इंडिन्यूजलाइन, लखनऊ:
फैटी लिवर रोग एक मूक महामारी है। क्योंकि यह अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे विकसित होता है, जिससे लोगों को पता नहीं चलता कि उन्हें यह समस्या है। जागरूकता और निवारक उपायों के ज़रिए ही इस बिमारी से बचा जा सकता है। यह जानकारी गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुमित रूंगटा ने दी। वह गुरूवार को विभाग के हेपेटोलॉजी क्लिनिक में वैश्विक फैटी लिवर दिवस पर संबोधित कर रहे थे।

फैटी लिवर रोग के अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं होते: प्रो. रूंगटा
प्रोफेसर सुमित रूंगटा ने आगे बताया कि फैटी लिवर रोग के अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि किसी व्यक्ति को यह समस्या है।

शुरुआती पहचान से लीवर में वसा की मात्रा को कम किया जा सकता है


डॉ. अनन्य गुप्ता ने ज़ोर देकर कहा कि स्क्रीनिंग और वजन घटाने, आहार में बदलाव और शारीरिक गतिविधि जैसे उपायों के ज़रिए शुरुआती पहचान से लीवर में वसा की मात्रा को कम किया जा सकता है। फैटी लिवर रोग के शुरुआती चरण में पहचान और हस्तक्षेप से इसकी प्रगति को रोका जा सकता है या धीमा किया जा सकता है।

लीवर रोगों से निपटने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को किया जाहिर
डॉ. श्रीकांत कोथलकर ने मरीज़ों को शिक्षित करने और उन्नत चिकित्सा हस्तक्षेपों को एकीकृत कर लीवर रोगों से निपटने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को जाहिर किया।

मौके पर हुई जांच, जागरूकता भी फैलाई
मौके पर अल्ट्रासाउंड स्कैन और लिवर फंक्शन टेस्ट सहित नि:शुल्क लिवर की जांच की गई। इस दौरान फैटी लिवर रोग की रोकथाम, प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन के बारे में जागरूक भी किया गया।

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