जन्म के समय बच्चे के अंडकोष नहीं थे अपनी जगह पर, जानें कैसे दूर हुई समस्या

13 महीने के बच्चे के अंडकोष को अपोलो स्पेक्ट्रा के सर्जनों ने सही जगह पर स्थानांतरित कर परेशानी की दूर

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नई दिल्ली
सोचो किसी बच्चे के जन्म के समय अंडकोष न हों तो उसका भविष्य कैसा होगा। आने वाले समय में उसे कैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी ही समस्या से गुजर रहे 13 माह एक बच्चे को सर्जन ने नई जीवन दिया।
दरअसल, अपोलो स्पेक्ट्रा में ऑर्किडोपेक्सी सर्जरी से बच्चे के अंडकोष को सही जगह पर स्थानांतरित किया गया। करीब 9.6 किलो वजन वाले इस बच्चे को 30 दिसंबर 2024 को उसकी मां अपोलो स्पेक्ट्रा में लाई थी। यहां डॉक्टरों को मां ने जानकारी दी कि जन्म के समय बाएं अंडकोष की थैली खाली थी। यह कुछ अजीब लगा। डॉक्टर को दिखाया। जांच करवाई लेकिन कुछ पता नहीं चला।
अपोलो स्पेक्ट्रा में लैप्रोस्कोपिक सर्जन, डॉ. अतुल सरदाना ने बताया कि परिवार परेशान होगा उनके पास आया। यहां जांच के दौरान मिनिमल इनवेसिव एब्डॉमिनल सर्जरी, जिसे ऑर्किडोपेक्सी कहा जाता है, करने का फैसला किया गया। जांच के दौरान एमआरआई किया और पाया कि टेस्टिस स्क्रोटम की जड़ में स्थित है। अंडकोष को स्क्रोटल सैक में लाने के लिए ऑर्किडोपेक्सी किया। यह आमतौर पर एक साल की उम्र से पहले की जानी चाहिए। इससे टेस्टिकुलर फंक्शन को सुरक्षित करने की संभावना बढ़ जाती है और कैंसर जैसी जटिलताओं के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
सर्जन, एनेस्थेटिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ की टीम ने इस सर्जरी को 30 मिनट में पूरा किया। सर्जरी के चार घंटे बाद से ही बच्चा दूध पीने लगा और अगले दिन सुबह उसे छुट्टी दे दी गई।
बच्चे की सुविधा के लिए सर्जन ने इस बात का खास ध्यान रखा कि टांके न लगाएं जाएं। सर्जिकल साइट पर कोई ड्रेसिंग नहीं की गई। इससे न केवल बच्चे को आराम मिला बल्कि परिवार के लिए भी पोस्ट-ऑपरेटिव केयर आसान हो गई।
उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान, अंडकोष किडनी के पास बनते हैं और स्क्रोटम में पहुंचते हैं, क्योंकि स्पर्म को अच्छी तरह बनने के लिए कम तापमान आवश्यक होता है। जब यह प्रक्रिया अधूरी रह जाती है, तो यह एक ऐसी स्थिति बन जाती है जिसे समय पर इलाज की आवश्यकता होती है।
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