लखनऊ में ‘साफ हवा, सबकी दवा’ पर कार्यशाला, CMO बोलें- ‘वायु प्रदूषण से बचाव के लिए एकजुट होकर करना है काम’
वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया में 70 और देश में 17 लाख लोगों की होती है मौत- डॉ. सूर्यकांत
Indinewsline, Lucknow:
CMO डॉ. N.B. सिंह ने कहा है कि प्रदूषण चाहे वह वायु हो या ध्वनि या जल, सेहत के लिए खराब है। इससे बचाव के लिए एकजुट होकर काम करना है। वह शनिवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) भवन में आयोजित ‘साफ हवा, सबकी दवा’ विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। स्वास्थ्य विभाग, KGMU और इरम यूनानी चिकित्सा विद्यालय के सहयोग से स्वयंसेवी संस्था चिंतन एन्वायरमेंटल रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप ने इसका आयोजन किया था। कार्यशाला में मुख्य अतिथि CMO ने कहा कि यह बहुत अच्छी पहल है।
व्यक्ति बिना सांस के तीन मिनट तक ही रह सकता है जीवित- डॉ. सूर्यकांत
मुख्य वक्ता KGMU के रेस्पिरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्य कांत ने कहा कि हमारा जीवन सांसों पर टीका है। हम प्रतिदिन 500 लीटर ऑक्सीजन लेते हैं। व्यक्ति बिना भोजन के तीन सप्ताह और बिना पानी के तीन दिन जीवित रह सकता है लेकिन बिना सांस के वह तीन मिनट तक ही जीवित रह सकता है।
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण फेफड़े प्रभावित होते हैं। पूरी दुनिया में 70 लाख लोगों की और देश में 17 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है। वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI) से वायु की गुणवत्ता का पता चलता है।
शरीर में वायु के साथ प्रदूषक तत्व नाक के रास्ते प्रवेश कर जाते हैं
डॉ. सूर्य कांत ने बताया कि शरीर में वायु के साथ प्रदूषक तत्व मीथेन, कार्बन डाई आक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, सल्फर डाई ऑक्साइड आदि नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण अस्थमा सहित कई बीमारियां व अन्य शारीरिक समस्यायें जैसे आंखों में जलन, बदन में खुजली और बालों का झडऩा आदि दिक्कतें होती हैं।
गर्भवती, बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है वायु प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव
उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव गर्भवती, बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। इसके कारण समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है। यहां तक कि गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो सकती है। नवजात सांस संबंधी बीमारियां, टीबी, अस्थमा, ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। वायु प्रदूषण का सर्वाधिक 57 फीसद कारण वाहनों निकलने वाले प्रदूषण तत्व और 20 फीसद तम्बाकू या तंबाकू उत्पादों के सेवन से निकलने वाला धुआं है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में पेड़ों का काटना, घरों में चूल्हे से निकलने वाला धुआं, कारखानों से निकलने वाला धुआं आदि।
वायु प्रदूषण से बचाव के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने का सुझाव
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