विश्व रेबीज दिवस 2024: मनुष्यों में 99% ‘रेबीज’ कुत्ते के काटने और खरोचने से ही होती है-सुनील यादव
रेबीज मुख्य तौर पर एशिया और अफ्रीका सहित डेढ़ सौ देशों की एक बड़ी सामाजिक और गंभीर जन स्वास्थ्य की समस्या
लखनऊ, संवाददाता।
WHO के अनुसार मनुष्यों में 99% ‘रेबीज’ कुत्ते के काटने और खरोचने से ही होती है। कुत्ते को वैक्सीन लगाकर और खुद को काटने से बचाकर इस रोग से पूरी तरह से बचा जा सकता है। 15 वर्ष से छोटे बच्चे ज्यादातर इसके शिकार होते हैं। आंकड़ों के अनुसार कुल मरीजों के 40% संख्या इस उम्र वाले बच्चों की है।
यह जानकारी फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने ‘विश्व रेबीज दिवस’ पर दी है। उन्होंने आगे बताया कि रेबीज मुख्य तौर पर एशिया और अफ्रीका सहित डेढ़ सौ देशों की एक बड़ी सामाजिक और गंभीर जन स्वास्थ्य की समस्या है, प्रतिवर्ष 10 हजार तक की संख्या में इससे मृत्यु हो जाती है।
सुनील यादव ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लगातार इस घातक रोग से होने वाले मृत्यु को बचाने के लिए कार्य किया जा रहा है। जानवरों के वैक्सीनेशन, जागरूकता फैलाने, चिकित्सा कर्मियों को शिक्षित करने का कार्य विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से किया जा रहा है।
फेडरेशन फार्मासिस्टों की जागरूकता के लिए लगातार चला रहा ट्रेनिंग प्रोग्राम
फार्मासिस्ट फेडरेशन द्वारा अपने फार्मासिस्टों को जागरूक करने के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा अपने चिकित्सालय में वैक्सीन की पूरी उपलब्धता रखी गई है और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से लगातार जन जागरूकता भी फैलाई जा रही है।
‘काटे चाटे श्वान के दुहु भांति विपरीत’ यह लाइन बिल्कुल सत्य है परंतु ‘कुत्ते के काटने से डर नहीं लगता साहब, डर लगता है इंजेक्शन लगवाने से’, ये बात आपने जरूर सुना होगा, यह बिल्कुल ही सत्य नहीं है!
अब कुत्ते का इंजेक्शन पेट में नहीं लगता
फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील ने कहा कि पहली बात तो यह है कि अब कुत्ते का इंजेक्शन पेट में नहीं लगता, जिससे लोग डरते थे। अब कुत्ते के काटने के बाद जो वैक्सीन लगती है वह वैक्सीन चमड़े के ठीक नीचे और बहुत कम मात्रा में हाथों में लगाई जाती है, अतः अब इसमें डरने की कोई आवश्यकता नहीं रही।
उन्होंने कहा कि एक बात और कि रेबीज होने के बाद इसमें मृत्यु की संभावना शत प्रतिशत तक है और समय पर वैक्सीन लेने से इससे बचा जा सकता है।
क्या है रेबीज़?
रेबीज़ एक टीका-निवारणीय, जूनोटिक, वायरल रोग है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। यह neglected tropical diseases (NTD) है, जबकि इसका वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलीन उपलब्ध है और ज्यादातर सरकारी चिकित्सालय में निशुल्क लगाया जाता है।
क्या है लक्षण?
रेबीज का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर 2-3 महीने होता है, लेकिन वायरस के प्रवेश के स्थान और वायरल लोड जैसे कारकों के आधार पर एक सप्ताह से एक वर्ष तक भिन्न हो सकती है। रेबीज के शुरुआती लक्षणों में बुखार, दर्द और घाव वाली जगह पर असामान्य या अस्पष्टीकृत झुनझुनी, चुभन या जलन जैसी सामान्य निशानियाँ शामिल हैं। जैसे-जैसे वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में जाता है, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में प्रगतिशील और घातक सूजन विकसित होती है।
रेबीज के प्रकार
रेबीज दो प्रकार की होती है
Furious rabies- (फ्यूरियस रेबीज) अति सक्रियता, उत्तेजक व्यवहार, मतिभ्रम, समन्वय की कमी, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) और एरोफोबिया (ड्राफ्ट या ताजी हवा का डर)। कार्डियो-श्वसन अरेस्ट के कारण कुछ दिनों के बाद मृत्यु हो जाती है।
Paralytic rabies (पैरालिटिक रेबीज) कुल मानव मामलों में से लगभग 20% मामलों में इस प्रकार का रेबीज होता है। रेबीज का यह रूप उग्र रूप की तुलना में कम नाटकीय और आमतौर पर लंबे समय तक चलता है। घाव वाली जगह से शुरू होकर मांसपेशियां धीरे-धीरे लकवाग्रस्त हो जाती हैं। धीरे-धीरे कोमा विकसित होता है और अंततः मृत्यु हो जाती है।
सुनील यादव बताते हैं कि समस्या यह है कि रेबीज के लकवाग्रस्त रूप का अक्सर गलत निदान किया जाता है, जिससे बीमारी की कम रिपोर्टिंग होती है।
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